चिकनगुनिया से बचने के प्राकृतिक
एवं घरेलू तरीके
- बकरी का दूध :- डेंगू बुखार के साथ ही साथ चिकनगुनिया बुखार के इलाज के लिए भी बकरी का दूध बहुत ही उपयोगी है क्योंकि यह सीधे प्रतिरक्षा प्रणाली को प्रभावित करता है, ऊर्जा देता है, शरीर में जरूरी तरल की आपूर्ति करता है और आवश्यक पोषक तत्वों की कमी नहीं होने देता।
- पीपते के पत्ते :- पपीते की पत्तियां न सिर्फ डेंगू बल्कि चिकुनगुनिया में भी उतनी ही प्रभावी है। उपचार के लिए पपीते की पत्तियों से डंठल को अलग करें और केवल पत्ती को पीसकर उसका जूस निकाल लें। दो चम्मच जूस दिन में तीन बार लें । यह बॉडी से टॉक्सिन बाहर निकालने तथा प्लेटलेट्स की गिनती बढ़ाने में मदद करता है ।
- तुलसी के पत्ते और काली मिर्च :- 4 – 5 तुलसी के पत्ते, 25 ग्राम ताजी गिलोय का तना लेकर कूट लें एवं 2 – 3 काली मिर्च पीसकर 1 लीटर पानी में गर्म कर ले । जब पानी की मात्रा 250 M.L. तक रह जाए , तो उतार ले और यह काढ़ा रोगी को थोड़े समय के अंतराल पे देते रहे,यह ड्रिंक आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाती है और एंटी-बैक्टीरियल तत्व के रूप में कार्य करती है।
- तुलसी अजवायन और नीम के पत्तियां – अजवायन, किशमिश, तुलसी और नीम की सूखी पत्तियां लेकर एक गिलास पानी में उबाल लें। इस पेय को बिना छानें दिन में तीन बार पीना चाहिए। तुलसी का काढ़ा और उसकी पत्तियों को उबालकर पीने से राहत मिलती है।
- मेथी के पत्ते :- इसकी पत्तियों को पानी में भिगोकर, छानकर पानी को पीया जा सकता है। इसके अलावा, मेथी पाउडर को भी पानी में मिलाकर पी सकते हैं। यह पत्तियां बुखार कम करने में सहायता करती है ।
- एप्सम साल्ट (Epsom salt) :- एप्सम साल्ट की कुछ मात्रा गरम पानी में डालकर उस पानी से स्नान करे । इस पानी में नीम की पत्तियां भी मिलाएं। ऐसा करने से भी दर्द से राहत मिलेगी और तापमान नियंत्रित होगा।
- गिलोय :- गिलोय के तनों को तुलसी के पत्ते के साथ उबालकर डेंगू पीड़ित व्यक्ति को देना चाहिए । यह मेटाबॉलिक रेट बढ़ाने, इम्युनिटी और प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत रखने और बॉडी को इंफेक्शन से बचाने में मदद करती है।
- हल्दी :- हल्दी में मेटाबालिज्म बढ़ाने का गुण होता है, यह दर्द और घाव को जल्दी ठीक करने में भी उपयोगी होता है । हल्दी का सेवन दूध में मिलाकर किया जा सकता है।
- लहसुन और सजवायन की फली (Garlic and drum stick):- किसी भी तेल में लहसुन और सजवायन की फली मिलाकर तेल गरम करें और इस तेल से रोगी की मालिश करें। इसके सेवन से दर्द में काफी आराम मिलता है
- फलों का रस, दूधश् दही, लाइट जल्दी पचने वाली चीजें सेवन करें । विटामिन-सी युक्त, आयरन, इलेक्टक्रेलाइट, ओआररस लेते रहें जो कि शरीर को बुखार से थ्रोमबोसाटोपनिया होने से बचाने में सहायक है
- कच्चा गाजर खाना भी काफी लाभदायक होता है । यह रोगी की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाती है साथ ही जोड़ों के दर्द से भी राहत देती है।
- चिकुनगुनिया बुखार के लिए गिलोय, पपीता पत्ते, एलोवेरा/मुसब्बर वेरा का रस और बकरी का दूध देना लाभप्रद होता है।** लेकिन इन सभी घरेलू औषधियों का प्रयोग किसी योग्य चिकित्सक के देखरेख में ही किया जाना चाहिए।
चिकनगुनिया का आयुर्वेदिक इलाज
:
नीचे दी गई दवाओं को 2 सप्ताह तक, गर्म पानी के साथ लें। सटीक दवा शरीर में देखे जा
रहे लक्षणों, दवा के प्रभाव पर तय की जाती है।संजीवनी वटी (100 mg) दिन में दो बार।सुदर्शन
घन वटी 500mg 1 गोली दिन में तीन बार।अमृतारिष्ट 15-30 ml दिन में दो बार।अथवासंजीवनी
वटी (100 mg) दिन में दो बार।त्रयोदशांग गुग्गुलु 500mg दिन में तीन बार।महारस्नादी
क्वाथ 45 ml दिन में दो बार।बुखार और दर्द: दशमूल काढ़ा का सेवन करें।बुखार के लिए:
पटोलादि क्वाथ अथवा पञ्च तिक्त क्वाथ अथवा सुदर्शन चूर्ण का सेवन करें।
बुखार जिसमें
कफ की अधिकता हो
निम्बादी क्वाथआमवात, गठिया, आर्थराइटिस जैसी स्थिति: रस्नादी क्वाथ
अथवा महारास्नादि क्वाथ अथवा महा योगराज गुग्गुलु अथवा योगराज गुग्गुलु अथवा रसना सप्तक
क्वाथ का सेवन करें।पुराने बुखार में: आरोग्यवर्धिनी गुटिका का सेवन करें।त्वचा पर
दाने/रैशेस: गुडूच्यादी क्वाथ अथवा बिल्वादी गुटिका अथवा हरिद्रा खण्ड का सेवन करें।चिकनगुनिया
में गुग्गुलु का सेवनगुग्गुलु क्योंकि शरीर में सूजन को दूर करते हैं इसलिए चिकनगुनिया
में विशेष रूप से उपयोगी है। जब बुखार ठीक भी हो जाता है तो श्री में जोड़ों की दिकात
रह जाती है। ऐसे में निम्न से किसी एक गुग्गुलु का सेवन शरीर में दर्द सूजन में राहत
देता है:
1. अमृता गुग्गुलु Amrita Guggulu (2 tablets twice daily)
2.योगराज गुग्गुलु
Yogaraj guggulu (2 tablets thrice daily)
3. महायोगराज गुग्गुलु Maha yogaraja
Guggulu (2 tablets twice daily)
4. सिंहनाद गुग्गुलु Simhanada Guggulu (2 tablets
thrice daily)
5. गोक्षुरादी गुग्गुलु Gokshuradi Guggulu (2 tablets twice daily)
6. कैशोर
गुग्गुलु Kaishore Guggulu (2 tablets twice daily)
7. त्रयोदाशांग गुग्गुलु
Trayodashanga Guggulu (2 tablets thrice daily)
8. सिद्ध की एक हर्बल दवा Nilavembu
kudineer chooranam भी चिकनगुनिया में लाभकारी है।
इसमें बुखार दूर करने के
antipyretic, सूजन नष्ट करने के anti-inflammatory और दर्द निवारक analgesic गुण है।
- क्लोरोक्विन फास्फेट (250 मिलीग्राम) Chloroquine Phosphate (250 mg) दिन में एक बार दैनिक देने से से चिकनगुनिया से पीड़ित लोगों में लाभ देखा गया है।**
चेतावनी –
- अगर किसी को बुखार हो रखा हो तो, (खासकर डेंगू के सीजन में) तो एस्प्रिन (Asprin) बिल्कुल न लें। यह मार्केट में इकोस्प्रिन (Ecosprin) नाम से मुख्यतः मिलता है ।
- ब्रूफेन (Brufen), कॉम्बिफ्लेम (combiflame) आदि एनॉलजेसिक से भी परहेज करें क्योंकि अगर डेंगू है तो इन दवाओं से प्लेटलेट्स कम हो सकती हैं और शरीर से ब्लीडिंग शुरू हो सकती है।➥ किसी भी तरह के बुखार में सबसे सेफ पैरासेटामॉल (Paracetamol) लेना है।
- किसी भी प्रकार की व्यक्तिगत चिकित्सा शुरू करने से पहले चिकित्सक/वैद्य से परामर्श करना आवश्यक है।
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