चिकनगुनिया
बुखार क्या है
Chikungunya Fever (चिकनगुनिया
बुखार) भी मच्छरों के संक्रमण से फैला हुआ एक तरह का बुखार है –डेंगू की तरह इसका भी
प्रकोप बड़ी तेजी से देखनो को मिल रहा है । इस बीमारी की पूरी जानकारी न होने के कारण
लोगो में इसका डर काफी ज्यादा देखनो को मिल रहा है. लेकिन हम, यह स्पष्ट कर देना चाहते
है की यह बुखार डेंगू बुखार इतना प्रभावशाली नहीं होता, इसमें रोगी के जान जाने की
खतरा न के बराबर ही होती है । लेकिन पहले से अस्वस्थ , बुजुर्गों और बच्चों के जीवन
के लिए यह खतरनाक साबित हो सकता है । डॉक्टर की सलाह, समय पर रोकथाम और उचित देखरेख
से इसका इलाज पूर्णतयः सम्भव है.
चिकनगुनिया
बुखार का इतिहास
जानकारों का मानना है की, इस
रोग को सबसे पहले, तंज़ानिया Tanzania, मारकोंड प्लेटू Markonde Plateau, मोजाम्बिक
Mozambique और टनगानिका Tanganyika पर 1952 में फैलते देखा गया था। Markonde इलाके
में स्वाहिली भाषा बोली जाती है जिसमें चिकनगुनिया का मतलब होता है- “अकड़े हुए आदमी
की बीमारी।” एक खास प्रजाति का मच्छर ही चिकनगुनिया फैलाता है जिसे एडिस एजेप्टी कहा
जाता है, इस मच्छर की पहचान एक जर्मन डॉक्टर जोहान विल्हेम ने 1818 में की थी । एडिस
एजिप्टी’ ग्रीक नाम है जिसका मतलब होता है ‘बुरा मच्छर’ । इस रोग को पहली बार मेरोन
रोबिंसन तथा लुम्स्डेन ने वर्णित किया था। यह पहली बार तंजानिया मे फैला था।
चिकनगुनिया
बुखार के कारण
Chikungunya Fever, चिकनगुनिया
वायरस संक्रमित मच्छरों के काटने से होता है । चिकनगुनिया वायरस एक अर्बोविषाणु है,
जिसे अल्फाविषाणु परिवार का माना जाता है। इसका संवाहक एडीज एजिप्टी मच्छर है जो की
डेंगू बुखार और येलो फीवर का भी संवाहक होता है, इस तरह के मच्छर बरसाती पानी जमा होने
से तेजी से पनपते हैं।
चिकनगुनिया
बुखार के लक्षण
साधारणतः चिकनगुनिया बुखार के
लक्षण संक्रमण होने के 2 से 7 तक ही रहते हैं लेकिन साधारणतः रोगी की दशा और उम्र पर
भी यह निर्भर करता है । चिकनगुनिया बुखार के लक्षण एक से अधिक भी हो सकते है । सामान्यत:
चिकनगुनिया बुखार के लक्षण कुछ ऐसे होते हैं —
- रोगी को अचानक बिना खांसी व जुकाम के तथा ठंड व कपकंपी के साथ अचानक तेज़ बुख़ार चढ़ना
- जोड़ों में तेज दर्द के साथ सूजन होना
- तेज बुखार (104-105 F) जो की 2-7 दिन तक लगातार रहना
- रोगी के सिर के अगले हिस्से , आंख के पिछले भाग में रहना , कमर, मांसपेशियों तथा जोड़ों में दर्द होना।
- मिचली nausea, उल्टी vomiting आना या महसूस होना
- शरीर पर लाल-गुलाबी चकत्ते red rashes होना
- आँखों लाल रहना ,आँखों में दर्द रहना
- हमेशा थका-थका और कमजोरी महसूश करना
- भूख न लगना, खाने की इच्छा में कमी, मुँह का स्वाद ख़राब होना, पेट ख़राब हो जाना,
- नींद न आना या नींद में कमी
चिकनगुनिया
बुखार से जुड़े जाँच :
चिकनगुनिया
बुखार से जुड़े जाँचो में आरटी-पीसीआर, रक्त सीरम की जाँच और वायरस पृथक्करण मुख्य है
जिससे रोगी में चिकनगुनिया बुखार होने का पता लगया जा सकता है ।Virus Isolation : संक्रमण
के शुरुआत के दिनों में रक्त से चिकनगुनिया के वायरस को अलग कर परिक्षण करने के लिए
यह जांच की जाती हैं।Enzyme-Linked Immunosorbent assays (ELISA) Test : इससे चिकनगुनिया
के antibodies रक्त में है या नहीं यह जांच की जाती हैं।Complete Blood Count
(CBC) Test : इस रक्त परिक्षण में सफेद रक्त कण (White Blood Cells) और Platelet
Count में कमी आने पर चिकनगुनिया होने की आशंका का निर्धारण किया जाता है ।Reverse
Transcriptase – Polymerase Chain Reaction (RT-PCR) Test : इससे चिकनगुनिया के
Gene की जांच की जाती हैं ।
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