कार्तिक
मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी यानी दीपावली के ठीक छह दिन बाद मनाया जाता है छठ, जो वास्तव
में सूर्य की उपासना का पर्व है। ऐसा विश्वास है कि इस दिन सूर्यदेव की आराधना करने
से व्रती को सुख, सौभाग्य और समृद्धि की प्राप्ति होती है और उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी
होती हैं। इस पर्व के आयोजन का उल्लेख कई पुराणों और प्राचीन ग्रंथों में भी पाया जाता
है। इस दिन पुण्य सलिला नदियों, तालाब या फिर किसी पोखर के किनारे पर पानी में खड़े
होकर सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है।
पर्व से जुड़ी 8 अहम जानकारियां-
1.कब मनाया जाता है- छठ महापर्व साल में 2 बार मनाया जाता है। हिन्दू कैलेंडर के मुताबिक एक बार चैत्र के महीने में और दूसरी बार कार्तिक के महीने में। कार्तिक महीने में मनाया जाने वाला छठ पर्व अधिक चर्चित है। कार्तिक में दीपावली, काली पूजा और भैया दूज के बाद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी से छठ पूजा के कार्यक्रम शुरू हो जाते हैं।
2.
कहां मनाया जाता है- पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड में छठ को खास तौर पर मनाया
जाता है। हालांकि अब पूर्वांचलवासियों के देशभर में फैले होने के कारण छठ का त्योहार
दिल्ली, मुंबई, गुजरात समेत देशभर में धूमधाम से मनाया जाता है।
3.
पूजा कार्यक्रम- छठ पूजा 4 दिन की होती है। इसमें पहले दिन नहाय-खाय में व्रती अरवा
चावल, चने की दाल और लौकी की सब्जी बनाकर प्रसाद के तौर लेती हैं। दूसरे दिन खरना होता
है जिसमें शाम की पूजा के बाद चावल और गुड़ की खीर का प्रसाद मिलता है। तीसरे दिन शाम
में डूबते हुए सूर्यदेव को अर्घ्य दिया जाता है। और फिर चौथे दिन सुबह में उगते हुए
सूर्य को अर्घ्य देने के बाद पूजा का समापन होता है।
4.
कैसे मनाया जाता है- छठ में मुख्य पूजा के रूप में आखिर के दोनों दिन नदी, तालाब या
किसी जल स्रोत में कमर तक पानी में खड़े होकर सूर्य को जल और दूध से अर्घ्य दिया जाता
है। कई लोग अपने घर से घाट तक दंडवत प्रणाम करते हुए भी पहुंचते हैं।
5.
कौन होते हैं व्रती- आस्था प्रधान इस व्रत को शुद्धता, स्वच्छता और श्रद्धा के साथ
स्त्री और पुरुष दोनों में से कोई भी रख सकता है। इस दौरान व्रत करने वाले लोग जमीन
पर सोते हैं और बिना सिलाई के कपड़े पहनते हैं। ये सभी करीब 36 घंटे का निर्जल उपवास
करते हैं और पूजा से जुड़े हर काम को उत्साह से करते हैं।
6.
छठ का प्रसाद- छठ के प्रसाद के तौर पर सबसे अधिक मशहूर है ठेकुआ जिसे गुड़ और आटे के
साथ बनाया जाता है। इसके अलावा स्थानीय मौसमी फल भी प्रसाद का हिस्सा होते हैं।
7.
सामाजिक असर- छठ का त्योहार साफ-सफाई और पवित्रता पर सबसे ज्यादा जोर देता है, जो व्यक्तिगत
भी होती है और सार्वजनिक भी। इसमें घरों से लेकर घाटों तक की सफाई शामिल होती है। सूर्य
को जल और दूध अर्पण करने के अतिरिक्त ऐसी कोई भी चीज विसर्जित नहीं की जाती, जो नदियों
में प्रदूषण बढ़ाए।
8.
छठ का संदेश- छठ विशुद्ध रूप से ऐसा प्रकृति पर्व है, जिसकी सारी परंपराएं नेचर को
बचाने-बढ़ाने और कुदरत के प्रति कृतज्ञता जताने का संदेश देती है। इसमें किसी कर्मकांड
की जरूरत नहीं है, बल्कि यह सीधी-सादी रीतियों पर आधारित है। महापर्व छठ, नदियों, तालाबों
और दूसरे जल स्रोतों को साफ रखने और ऊर्जा के असीम स्रोत भगवान सूर्य के प्रति आभार
जताने का संदेश देता है।
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