एक
अच्छी कविता प्राप्त हुई है,
जो
मनन करने योग्य है ।
"जाने
क्यूं अब
शर्म से, चेहरे
गुलाब नही होते।
जाने
क्यूं
अब
मस्त मौला मिजाज नही होते।
पहले
बता दिया करते थे, दिल की बातें।
जाने
क्यूं
अब
चेहरे, खुली
किताब नही होते।
सुना
है
बिन
कहे दिल
की बात समझ
लेते थे।
गले
लगते ही
दोस्त
हालातसमझ
लेते थे।
तब
ना फेस बुक
ना
स्मार्ट मोबाइल था ना
फेसबुक
ना
ट्विटर अकाउंट था
एक
चिट्टी से हीदिलों
के जज्बात
समझ
लेते थे।
सोचता
हूं
हम
कहां से कहां आ गये, प्रेक्टीकली
सोचते सोचते
भावनाओं
को खा गये।
अब
भाई भाई से समस्या
का समाधान
कहां
पूछता है अब
बेटा बाप से उलझनों
का निदान
कहां
पूछता है बेटी
नही पूछती मां
से गृहस्थी के सलीके
अब
कौन गुरु के चरणों
में बैठकर
ज्ञान
की परिभाषा सीखे।
परियों
की बातें अब
किसे भाती है
अपनो
की याद अब
किसे रुलाती है
अब
कौन गरीब
को सखा बताता है
अब
कहां
कृष्ण
सुदामा को गले लगाता है
जिन्दगी
मे
हम
प्रेक्टिकल हो गये है
मशीन
बन गये है सब
इंसान
जाने कहां खो गये है!
इंसान
जाने कहां खो गये है..🌹😔🌹
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अपने
माता-पिता की कदर करे
उनको
हमेशा प्यार से रखे खुश रखे
उनकी
अहमियत किसी अनाथ से पूछे🙏🙏
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दामाद - पुराण
>>>>>>>> पहला साल <<<<<<<<
पूड़ी, दो
तरह की सब्जी,
बासमती
चावल, पनीर, रायता,
सलाद, लिज्जत-पापड़,
अंत
में दो पीस मीठा, वो भी जबरदस्ती, ये बोलकर
कि खा लो दामाद जी कुछ नही होगा सोते समय हाजमोला या तो बंगला पत्ती वाला मीठा पान
खा लेना
>>>>>>>>> तीसरा साल <<<<<<<<<
पूड़ी एक
सब्जी,
सोनम
चावल, आलू
दम, सलाद,
माहेश्वरी
पापड़ और
रात
में सोते समय दो पीस बालूशाही।
>>>>>>>>> पांचवा साल <<<<<<<<<
रोटी, आलू
परवल की सब्जी,
चावल, गोभी
फ्राई,
खाली
प्याज टमाटर की सलाद, लोकल पापड़ और
रात
मे सोते समय सूजी का हलवा
>>>>>>>>> सातवाँ साल <<<<<<<<<
रोटी, आलू
सोयाबीन बड़ी की सब्जी,
कुंदरू
की भुजिँया,
चौकोर
कटी प्याज की सलाद, अचार और
सोते
समय पूछा दामाद जी दूध पियेंगे क्या ????
>>>>>>>> नौवा साल <<<<<<<<<<
चाय
और मिक्स दालमोट दे के पूछा कि खाना खावोगे क्या दामाद जी ? तो बाजार चलो साथ कुछ सब्जी
ले आवें ।
>>>>>>>>> ग्यारहवाँ साल <<<<<<<<<<
नीबू
की चाय, और
बिस्किट
और
पूछा इधर कैसे दामाद जी कोई काम था क्या इस तरफ ???
आज
रुकेंगे न ?
>>>>>>> तेरहवाँ साल <<<<<<<<
कैसे
हो दामाद जी
जल्दी
न हो तो चाय पीकर जाना । ।
>>>>>>>> पंद्रहवाँ साल <<<<<<<<<
अरे
दामाद बाबू आये है,
कोई
चाय पानी तो पूछ लो ।
>>>>>>>>> सत्रहवाँ साल <<<<<<<<<
अरेरेरेरे-
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कुछ
ऐसा संयोग हुआ की दामाद जी को चाय भी नही पूछ पाये ।
>>>>>>>> उन्नीसवाँ साल <<<<<<<<<
कैसे
हो दामाद बाबु सुना है, चाय पीना छोड़ दिया, तो कोई जरुरी भी नही था कि बीमार शरीर लेकर
ससुराल आया जाय फालतू में खुद भी परेशान हो और दुसरो को भी परेशान करो, अपने ऊपर ध्यान
दो और चुपचाप अपने घर मे ही रहो ।
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आपकी
शादी के कितने साल हुये है ?
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