रविवार, 11 सितंबर 2016

कम्पनी कितने तरह की होती है

कम्पनी कितने तरह की होती है 

वैसे तो इंडिया में किसी  भी कम्पनी  को विभिन्न तरह से   Register किया जाता है | और इसके  अंतर्गत व्यापार या company  को Register कराने के लिए अलग अलग योग्यता  चाहिए होती है | इसके अलावा कंपनी या व्यापार  को कौन सा दर्जा दिया जाय | इसके लिए कुछ क़ानूनी सीमाओं (Statutory Norms) का प्रावधान किया गया है | यह सब निवेश की गई पूंजी, ऋण की मात्रा एवं वार्षिक कमाई  (Annual Income) इत्यादि पर निर्भर करता है | इनमें से जो मुख्य business entities के types हैं | उनका वर्णन निम्नलिखित है |


 Proprietorship:

इस तरह  के व्यापार  में केवल एक अकेला आदमी सम्पूर्ण उद्योग का  मालिक होता है | बिज़नेस को चलाने के लिए वही पूंजी लगाता है | मजदूर व मशीनें इत्यादि खरीदने के लिए भी खुद जिम्मेदार होता है | Proprietorship में केवल एक व्यक्ति ही व्यापार  सम्बन्धी सारे निर्णय लेता है | इसलिए फायदे और नुकसान का भी वह स्वयं प्रतिभागी होता है |
  
Partnership:

Proprietorship type के व्यापार  में दो या दो से अधिक व्यक्ति किसी कंपनी या व्यापार  को चला रहे होते हैं | इसलिए संगठन में किसकी क्या भूमिका होगी तय करने हेतु Indian Partnership Act 1932 के अनुसार सभी साझेदारों के द्वारा लिखित तौर पर एक Partnership Deed हस्ताक्षर की जाती है | और इस Partnership deed में लिखित शर्तों एवं नियमो के अनुसार ही Partners द्वारा व्यापार  चलाया जाता है | अत: यह भी स्पष्ट है की कंपनी में  फायदा एवं घाटा  के हिस्सेदार सारे Partners होते हैं |

 Private Limited Company:

एक Private limited company में कम से कम 2 और अधिक से अधिक 15 directors हो सकते हैं | और यदि Share Holders की बात करें तो कम से कम 2 और अधिक से अधिक 200 share holders हो सकते हैं | इस Type के संगठन Companies act 1956 के अंतर्गत Registrar of companies द्वारा अनुबंधित होते हैं | Private Limited Company में कंपनी का एक Memorandum & articles of association बनाया जाता है |जिसमे संगठन के सारे कार्यक्षेत्रों के प्रति नियम एवं शर्तें वर्णित होती हैं | और इसके आधार पर ही कंपनी का संचालन किया जाता है |

Public Limited Company:

Public limited company में कम से कम 7 share holders और कम से कम 3 directors का होना अनिवार्य है | PLC भी companies Act 1956 के अनुसार Registrar of companies के अंतर्गत Registered होती हैं | ऐसी कंपनियों को business start करने से पहले Trading Certificate लेना होता है | Management में कोई नियुक्ति और वैधानिक बैठकें आयोजित करने के लिए सरकार की मंजूरी की आवश्यकता पड़ती है | इसके अलावा public limited company अपने शेयर बेचने हेतु बाज़ार में विज्ञापन प्रसारित करवा सकती हैं | जबकि एक private limited company ऐसा नहीं कर सकती |

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Limited Liability Partnership (LLP):

Limited liability partnership अधिनियम सन 2008 में संसद में पारित हुआ था | यह business entities (LLP) business को नम्यता (flexibility) प्रदान करता है | इसमें साझेदार आपसी लिखित समझोतों के माध्यम से अपने अपने दायित्व के लिए सीमा तय कर सकते हैं | LLP में Partnership Act 1932 लागू नहीं होता है | यदि किसी Partner द्वारा कोई अनाधिकृत निर्णय लिया जाता है, तो अन्य पार्टनर इसके परिणामो के लिए जिम्मेदार नहीं होंगे |

Co-operative society:

Co-operative society को हिंदी में सहकारी समिति कहा जाता है | और सहाकरी समितियां state Co-operative society act 2002 के अंतर्गत राज्य के co-operative department से registered होती हैं | इस प्रकार के संगठन में कम से कम 10 सदस्य हो सकते हैं | और समिति का संचालन Memorandum & articles of association में लिखित शर्तों, नियमों एवं कार्यक्षेत्र के आधार पर ही किया जाता है |

आप का अपना 

अमन मस्ताना कटियार 


2 टिप्‍पणियां:

Mai Aap Ki Madad Business Startup Karne ,Tally Ki Jankari Karne, or Entertainment ,Karne Me Karu Ga Agar Aap ko Koi Comment Karna Hai To Neeche Box Me Comment Kare

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