कम्पनी कितने तरह की होती है
वैसे
तो इंडिया में किसी भी कम्पनी को विभिन्न तरह से Register किया जाता है | और इसके अंतर्गत व्यापार या company को Register कराने के
लिए अलग अलग योग्यता चाहिए होती है | इसके अलावा कंपनी या व्यापार को
कौन सा दर्जा दिया जाय | इसके लिए कुछ क़ानूनी सीमाओं (Statutory Norms) का प्रावधान
किया गया है | यह सब निवेश की गई पूंजी, ऋण की मात्रा एवं वार्षिक कमाई (Annual
Income) इत्यादि पर निर्भर करता है | इनमें से जो मुख्य business entities के
types हैं | उनका वर्णन निम्नलिखित है |
Proprietorship:
इस तरह के व्यापार में केवल एक अकेला
आदमी सम्पूर्ण उद्योग का मालिक होता है | बिज़नेस
को चलाने के लिए वही पूंजी लगाता है | मजदूर व मशीनें इत्यादि खरीदने के लिए भी खुद
जिम्मेदार होता है | Proprietorship में केवल एक व्यक्ति ही व्यापार सम्बन्धी सारे
निर्णय लेता है | इसलिए फायदे और नुकसान का भी वह स्वयं प्रतिभागी होता है |
Partnership:
Proprietorship
type के व्यापार में दो या दो से अधिक व्यक्ति किसी कंपनी या व्यापार को
चला रहे होते हैं | इसलिए संगठन में किसकी क्या भूमिका होगी तय करने हेतु Indian
Partnership Act 1932 के अनुसार सभी साझेदारों के द्वारा लिखित तौर पर एक
Partnership Deed हस्ताक्षर की जाती है | और इस Partnership deed में लिखित शर्तों
एवं नियमो के अनुसार ही Partners द्वारा व्यापार चलाया जाता है | अत: यह भी स्पष्ट
है की कंपनी में फायदा एवं घाटा के हिस्सेदार सारे Partners होते हैं |
Private
Limited Company:
एक
Private limited company में कम से कम 2 और अधिक से अधिक 15 directors हो सकते हैं
| और यदि Share Holders की बात करें तो कम से कम 2 और अधिक से अधिक 200 share
holders हो सकते हैं | इस Type के संगठन Companies act 1956 के अंतर्गत Registrar
of companies द्वारा अनुबंधित होते हैं | Private Limited Company में कंपनी का एक
Memorandum & articles of association बनाया जाता है |जिसमे संगठन के सारे कार्यक्षेत्रों
के प्रति नियम एवं शर्तें वर्णित होती हैं | और इसके आधार पर ही कंपनी का संचालन किया
जाता है |
Public
Limited Company:
Public
limited company में कम से कम 7 share holders और कम से कम 3 directors का होना अनिवार्य
है | PLC भी companies Act 1956 के अनुसार Registrar of companies के अंतर्गत
Registered होती हैं | ऐसी कंपनियों को business start करने से पहले Trading
Certificate लेना होता है | Management में कोई नियुक्ति और वैधानिक बैठकें आयोजित
करने के लिए सरकार की मंजूरी की आवश्यकता पड़ती है | इसके अलावा public limited
company अपने शेयर बेचने हेतु बाज़ार में विज्ञापन प्रसारित करवा सकती हैं | जबकि एक
private limited company ऐसा नहीं कर सकती |
यह
भी पढ़ें:
Limited
Liability Partnership (LLP):
Limited
liability partnership अधिनियम सन 2008 में संसद में पारित हुआ था | यह business
entities (LLP) business को नम्यता (flexibility) प्रदान करता है | इसमें साझेदार आपसी
लिखित समझोतों के माध्यम से अपने अपने दायित्व के लिए सीमा तय कर सकते हैं | LLP में
Partnership Act 1932 लागू नहीं होता है | यदि किसी Partner द्वारा कोई अनाधिकृत निर्णय
लिया जाता है, तो अन्य पार्टनर इसके परिणामो के लिए जिम्मेदार नहीं होंगे |
Co-operative
society:
Co-operative
society को हिंदी में सहकारी समिति कहा जाता है | और सहाकरी समितियां state
Co-operative society act 2002 के अंतर्गत राज्य के co-operative department से
registered होती हैं | इस प्रकार के संगठन में कम से कम 10 सदस्य हो सकते हैं | और
समिति का संचालन Memorandum & articles of association में लिखित शर्तों, नियमों
एवं कार्यक्षेत्र के आधार पर ही किया जाता है |
आप का अपना
अमन मस्ताना कटियार
Thanku for this post
जवाब देंहटाएंVery Good information dear I like Your Post
जवाब देंहटाएंबिज़नस के प्रकार हिंदी में जाने