मंगलवार, 21 मार्च 2017

ज्वेलरी मेकिंग का बिज़नेस ,


आज के समय में हर व्यक्ति ये चाहता है की उसका अपना बिज़नेस हो और बहुत सरे लोग उसके कम्पनी में काम करे या उसके अंडर में काम करे सभी उसको बॉस या सर कह कर बुलाये। आज के समय में सभी ये चाहते है की उसका अपना बिज़नेस हो लेकिन कंफ्यूज़ रहते है की उनको कौन सा बिज़नेस करना चाहिए।
तो आइये आज मैं आप को  और बिज़नेस के बारे में बताने जा रहा हु जिसको सुना तो सभी ने होगा लेकिन स्टार्ट कैसे करे और इसके लिए क्या करना पड़े गा। कागजी करवाई क्या -क्या करनी पड़े गी। तो उस बिज़नेस का नाम है ज्वेलरी मेकिंग का बिज़नेस , 
आज के दौर में ज्वेलरी मेकिंग सिर्फ सुनारों का ही खानदानी काम नहीं रहा। आप भी गहने बनाने के काम में अपना भविष्य बना सकते हैं। शुरू में थोड़े इन्वेस्टमेंट के साथ आप अपना काम भी शुरू कर सकते हैं। कैसे,  

जिस तरह ज्वेलरी अब सिर्फ सोने-चांदी का नाम नहीं है, ठीक वैसे ही यह काम अब केवल सुनारों का नहीं रह गया है। ज्वेलरी की बढ़ती डिमांड और बाजार में प्रतिस्पर्धा के चलते अब इस क्षेत्र में पढ़े-लिखे डिग्रीधारी प्रोफेशनल्स को काम करने का मौका मिलने लगा है। भारत रत्न विज्ञान केंद्र के निदेशक एपी सिंह ने बताया कि ‘ज्वेलरी मेकिंग में भारत दुनिया भर में सबसे आगे हो चुका है। यहां सस्ते और अच्छे कारीगर मिलने की वजह से विश्व का ध्यान भारत की ओर टिका हुआ है।’
 अब वह दौर भी धीरे-धीरे जा रहा है, जब लोग ज्वेलरी को आवश्यकता की चीज यानी इन्वेस्टमेंट की नजर से ज्यादा और साज-सज्जा यानी श्रृंगार की सोच से कम खरीदा करते थे। आजकल लोग इन्वेस्टमेंट के साथ इस बात पर विशेष ध्यान देने लगे हैं कि वे जिस आभूषण को खरीद रहे हैं, उसका डिजाइन कैसा है और वह पहनने पर कैसा लगेगा। डिजाइन अच्छा होगा तो उसे पहनने वाले की सुंदरता में भी चार चांद लगेंगे। लोगों की इसी सोच के चलते अब सोने-चांदी के अलावा आर्टिफिशियल और कॉस्टय़ूम ज्वेलरी की भी बाजार में काफी डिमांड है।
 खैर, ज्वेलरी चाहे सोने-चांदी की हो या आर्टिफिशियल या कॉस्टय़ूम, दोनों को तैयार करने वालों को प्रशिक्षण एक ही तरह का दिया जाता है। आजकल के बदलते ट्रेंड और इस क्षेत्र में करियर के उम्दा चांस मिलने के चलते युवा इस ओर खूब रुख कर रहे हैं। इस क्षेत्र में पैसे की भी कोई कमी नहीं है।
 ज्वेलरी मेकर्स का काम
इस क्षेत्र में काम करने वालों को आभूषण बनाना, उन्हें मॉडिफाई करना, डिजाइन करना आदि के अलावा जैमोलॉजी की बेसिक जानकारी तथा कास्टिंग टेक्नोलॉजी, ज्वेलरी का इतिहास, स्टोन कटिंग एंड इनेबलिंग यानी नक्काशी, रत्नों की शुद्घता मापना, रत्नों का चुनाव, मूल्य, सेटिंग, पॉलिशिंग, सोइंग एवं सोल्डरिंग, फेब्रिकेशन, रिपेयरिंग, रत्नों के अलावा टेराकोटा मोतियों और हाथी दांत व सीपियों का प्रयोग करना सिखाया जाता है। अगर आप कला में रुचि रखते हैं। दसवीं या बारहवीं पास हैं और अपना काम करना चाहते हैं या आपको नौकरी उतनी अच्छी नहीं मिल रही है अथवा आप परीक्षाओं में अच्छे अंक नहीं ला पाए हैं तो आप ज्वेलरी मेकिंग का काम सीख कर इस क्षेत्र में बहुत अच्छा पैसा कमा सकते हैं। कैसे, आइए जानें-
 जगह का चुनाव
ज्वेलरी मेकिंग या डिजाइनिंग के लिए कम से कम 10 फुट चौड़े और 12 फुट लंबाई वाले कमरे की जरूरत होती है। बड़ा काम करने के लिए उसी हिसाब से जगह की ज्यादा जरूरत होती है। अगर आपने तार खींचने का काम या लड़ी जोड़ने यानी पिरोने अथवा टांका लगाने का काम सीखा हुआ है तो आप इस काम को एक काउंटर लगा कर भी कर सकते हैं। यह काम आप सुनारों या आर्टिफिशियल ज्वेलरी बाजारों के आसपास या उनके द्वारा डिजाइनिंग के लिए संपर्क किए जाने वाले बाजारों में शुरू करते हैं तो आपका काम आसानी से चल सकता है, क्योंकि तब आपको ऑर्डर लेने के लिए सुनारों या आर्टिफिशियल ज्वेलरी व्यापारियों के पास कम जाना पड़ेगा, मतलब आपको मार्केटिंग कम करनी पड़ेगी।
 उपकरण और मशीनें
इस काम को करने के लिए आपको अनेक उपकरणों एवं कुछ मशीनों की जरूरत पड़ेगी, जो इस प्रकार हैं- कटर, रेती, कुठाली, प्लास, पेचकस, गैस बर्नर, कोयले की भट्ठी, पिघलती भट्ठी, सांचे, कास्टिंग प्लांट, वैक्स मोल्ड यानी मोम के सांचे, वायर, ड्राइंग मशीन, कंप्यूटर आदि।
 लागत
 इस काम को करने में कम से कम पांच लाख रुपए का खर्च आता है। आप जितना बड़ा काम करना चाहेंगे, लागत भी उतनी ही अधिक आएगी।
 अगर आप केवल टांका लगाने का काम करते हैं या तार खींचने का काम या लड़ी जोड़ने यानी पिरोने का काम करना चाहते हैं तो आपका काम बीस-तीस हजार रुपए में शुरू हो सकता है। जगह का खर्च आपको अलग से वहन करना पड़ेगा।
 सहयोग
सहयोग से  मतलब आपको इस काम को करने के लिए कम से कम कितने वर्कर्स की आवश्यकता पड़ेगी तो आपको बता दें कि पांच लाख की लागत लगा कर काम शुरू करने पर आपको कम से कम 15 लोगों की आवश्यकता पड़ेगी। अगर आप काउंटर लगाकर काम शुरू करते हैं तो आपको किसी अन्य व्यक्ति की सहायता की जरूरत नहीं पड़ेगी या काम के हिसाब से आप कारीगर रख सकते हैं।
प्रमुख संस्थान  - ज्वेलरी मेकिंग का प्रशिक्षण देने वाले प्रमुख संस्थानों के नाम व पते इस प्रकार हैं-
 1. रत्न परीक्षण प्रयोगशाला: राजस्थान चेंबर भवन, द्वितीय तल, मिर्जा इस्माइल रोड, जयपुर-302003, 
                                   वेबसाइट: www.gjepcindia.com
 2. रत्न भारतीय हीरा संस्थान: कैटरम गिड्स, पोस्ट बॉक्स नं़-508, सुमुल डेयरी रोड, सूरत-395008, गुजरात
                                 वेबसाइट: www.diamondinstitute.net
 3. रत्न एवं आभूषण निर्यात संवर्धक परिषद: डॉं बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर मार्ग, मुंबई
                                 वेबसाइट: www.giepc.org
 4. भारत रत्न विज्ञान केंद्र: झंडेवालान, नई दिल्ली,
                                वेबसाइट: www.brvc.com
 5. भारतीय रत्न विज्ञान संस्थान: नई दिल्ली
 6. दिल्ली जैम एंड ज्वेलरी इंस्टीटय़ूट: नई दिल्ली,
                               वेबसाइट : www.gemologyindia.com
7. मुख्य रत्न विशेषज्ञ एवं ज्वेलरी मेकिंग प्रशिक्षक, दिल्ली जैम एंड ज्वेलरी इंस्टीटय़ूट, नई दिल्ली
 योग्यता
ज्वेलरी मेकर बनने के लिए डिप्लोमा या सर्टिफिकेट कोर्स करना आवश्यक है। इसके लिए आपकी न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता बारहवीं होनी चाहिए। कुछ प्राइवेट संस्थान दसवीं पास छात्रों को भी प्रशिक्षण प्रदान करते हैं। बड़े संस्थान लिखित परीक्षा और साक्षात्कार के आधार पर प्रवेश देते हैं।
 कोर्स की अवधि
ज्वेलरी मेकिंग के कोर्सेज की अवधि तीन माह से लेकर दो साल तक है। इसमें तीन से छह माह के सर्टिफिकेट कोर्स होते हैं, जबकि एक से दो साल में डिप्लोमा कोर्स कराए जाते हैं। आजकल कुछ संस्थान साप्ताहिक कोर्स भी कराते हैं, जिनमें टांका लगाना, ज्वेलरी साफ करना, तार खिंचाई, लड़ी जोड़ना सिखाया जाता है।
 शुल्क
ज्वेलरी मेकिंग के कोर्स का शुल्क प्रशिक्षण अवधि, कोर्स और संस्थान पर निर्भर करता है। इस काम को सिखाने वाले संस्थान 10 हजार रुपए से दो लाख रुपए तक चार्ज करते हैं। जो संस्थान सिर्फ टांका आदि लगाना सिखाते हैं, वे एक हजार से पांच हजार तक वसूलते हैं।
 आमदनी
ज्वेलरी मेकिंग का काम एक ऐसा काम है, जिसमें आपकी आमदनी अच्छी होने के साथ बढ़ती ही रहती है। इस काम में सोने-चांदी का 15 प्रतिशत हिस्सा अलॉय यानी दो-तीन धातुओं के मिश्रण में और 5 प्रतिशत हिस्सा ढलाई में मिलता है। मोटे तौर पर कहें तो कुल मिला कर अलग-अलग जगहों के हिसाब से 14, 15, 18 या 23 प्रतिशत हिस्सा बनाने वाले को मिलता है और बनवाई अलग से मिलती है। अन्य धातुओं से ज्वेलरी बनाने में केवल बनवाई मिलती है। शुद्घ आमदनी की अगर बात की जाए तो पांच लाख रुपए की लागत से शुरू किए गए काम से आप लाखों रुपए महीने तक कमा सकते हैं, जबकि आर्टिफिशियल या कॉस्ट्यूम ज्वेलरी बनाने में कुछ कम आमदनी होती है। आपका काम जितने बड़े स्तर का होगा या बढ़ेगा, उसी हिसाब से आमदनी भी बढ़ेगी।
सरकारी  सहायता  या लोन 
ज्वेलरी मेकिंग का काम शुरू करने के लिए अगर आपके पास पर्याप्त पैसा नहीं है तो आप लोन भी ले सकते हैं। इसके लिए आपके पास दो रास्ते हैं। एक निजी स्तर पर सीधे बैंक से लोन लेने का और दूसरा सरकारी संस्थान के सर्टिफिकेट पर ग्रामीण या शहरी स्वरोजगार योजना की स्कीमों के अंतर्गत लोन लेकर काम शुरू करने का। दोनों ही तरह से आपको जरूरी दस्तावेज जमा कराने होंगे। इन दस्तावेजों में प्रोजेक्ट रिपोर्ट, जगह के कागज, बैंक या स्कीम के मुताबिक सिक्योरिटी मनी, शिक्षा के प्रमाण-पत्र, आईडी प्रूफ, पासपोर्ट साइज फोटो आदि शामिल हैं। इसके अलावा आपको दो गवाह भी चाहिए। लोन की राशि आपकी प्रोजेक्ट रिपोर्ट, कार्य का आकार-प्रकार और जगह की वैल्यू पर निर्भर करेगी । इसमें कम पढ़े-लिखे भी करियर बना सकते हैं 
ज्वेलरी मेकिंग का काम विश्व के सबसे तेजी से फलते-फूलते व्यवसायों में पहले नंबर पर है। पहले मशीन से बनी ज्वेलरी भारत में आयात की जाती थी, लेकिन आज भारत में बनी मशीनों की ज्वेलरी चीन आदि को निर्यात की जाती है। आज जहां भारत के कोलकाता से सिलगिरी, पठानकोट से फूलों वाले डिजाइन की ज्वेलरी, राजस्थान से कुंदन ज्वेलरी, तमिलनाडु से थप्पावर्क ज्वेलरी निर्यात होती है, वहीं कोयम्बटूर से मुगलकालीन ज्वेलरी दुबई निर्यात की जाती है। दुबई में बिकने वाली ज्वेलरी में 60 प्रतिशत ज्वेलरी यहीं से जाती है। इधर मुंबई स्थित सीप्स में ज्वेलरी का काम बहुत बड़े स्तर पर होता है।

इस काम की ग्रोथ अच्छी है। हर साल 13 से 15 प्रतिशत के हिसाब से इस काम को करने वालों की संख्या में बढ़ोत्तरी हो रही है। सिर्फ सोने-चांदी के ही नहीं, आर्टिफिशियल और कॉस्टय़ूम के बने भारतीय आभूषण भी विदेशी लोगों को खूब पसंद आ रहे हैं। ज्वेलरी मार्केट की जानकारी रखने वाले सभी युवा आज इस क्षेत्र की ओर रुख कर रहे हैं। इस क्षेत्र में कोई भी दसवीं-बारहवीं तक पढ़ा-लिखा युवा कदम रख सकता है और बहुत कम समय में अच्छा पैसा कमा सकता है। अगर आप सही से काम करते हैं तो आपके लिए यह एक ऐसा क्षेत्र साबित होगा, जिसमें लगाई गई लागत आप सारे खर्च निकाल कर एक साल के अंदर-अंदर वापस पा सकते हैं। यह भी हो सकता है कि आप एक ही साल में लाभ भी कमा लें।

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